श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना ।जिन्दगी मुझे खुद वापिस बुलाने लगी है)

☆ मुक्तक – ।। जिन्दगी मुझे खुद वापिस बुलाने लगी है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆ 

[1]

हक़ीक़त मुझे आईना, दिखाने लगी   है।

कौन दोस्त दुश्मन, यह बताने लगी  है।।

सुन रहा जबसे दिल, की आवाज़  अपनी।

हर तस्वीर साफ़ अब, नज़र आने लगी है।।

[2]

जिंदगी धुन कोई नई सी, गुनगुनाने लगी है।।

गर्द साफ जहन से, जिंदगी मुस्कारानें लगी है।

बस आस्तीन छिपे दोस्तों को, जरा  पहचाना।

तबियत अब खुद ही, सुधर जाने लगी    है।।

[3]

आज मुश्किल खुद ही, रास्ता बताने लगी है।

जिन्दगीआजआसान सी, नज़र आने लगी है।।

जरा मैंने दिल सेअपने, नफरत को  निकाला।

हवा खुद मेरे चिरागों को, जलाने लगी   है।।

[4]

उम्मीद रोशन नई, जिन्दगी में चमकाने लगी है।

सही गलत समझ खूब, मुझको आने लगी है।।

बहुत दूर नहीं गया मैं, किसी गलत  राहों पर।

अब जिन्दगी मुझे वापिस, बुलाने    लगी है ।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments