डॉ प्रेरणा उबाळे
☆ कविता – युद्ध ☆ डॉ प्रेरणा उबाळे ☆
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दो खड्ग
दो मन
दो विचार
दो आचार
भयाक्रांत पुष्प
तारामंडल तमग्रस्त
अपरिचित अपराजेय
घटित अघटित
म्यान नियंत्रण
तोड़ समाप्त
खींच बाहर
खनक खनक….
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खनक खनक
टूट टूट
रक्त रक्त
सिक्त आसक्त
पवित्र अपवित्र
खनक खनक …
*
छल कपट
नाश विनाश
साम दाम
दंड भेद
बाहू युद्ध
बुद्धि युद्ध
शक्ति युद्ध
भाव युद्ध
नेत्र युद्ध
मौन युद्ध
खनक खनक …
*
लहू लुहान
श्वास आह
उर मस्तिष्क
ध्वस्त विध्वस्त
युद्ध परास्त
नाद अनहद
पुकार सत्य
खड्ग अंत
खनक खनक …
*
तार छेड
तृप्त स्वर
लय सुर
ताल गति
प्रेम विशुद्ध
निरीह अबाध
*
स्व युद्ध
आत्म युद्ध
तन तर्पण
मन तर्पण
स्नेह अर्पण
अहं अर्पण
श्री शिव
श्री सत्
श्री चरण
श्री सरन
झंकार नुपुर
अनुनाद ब्रह्म
*
नवनिर्माण
कर विहान
हो श्रेयस
हो प्रेयस
समस्त गगन
गूँज अनुगूँज
वर्धिष्णु
त्रिलोचन
वर्धिष्णु
आत्मज्ञान
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© डॉ प्रेरणा उबाळे
23 अगस्त 2024
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे ०५
संपर्क – 7028525378 / [email protected]
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