श्री घनश्याम अग्रवाल

(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर आपकी अत्यंत विचारणीय कविताएं – बिन पानी सब सून )

☆ कविता ☆ विश्व जल दिवस विशेष – बिन पानी सब सून ☆ श्री घनश्याम अग्रवाल ☆ 

धरती-आसमाँ-आदमी सभी सूखे

कहीं नहीं है पानी

आँख सहेजी वरना कब का

मर गया होता पानी.

हजार फुट खोदने पर भी

पानी नहीं लगा

फिर और खोदा

तो थोड़ा-सा लगा,

हाय-री किस्मत

वह भी पानी नहीं

हज़ार फुट खोदनेवालों का

पसीना निकला.

वह बेगैरत नहीं

शायद प्यासा रहा होगा

वरना आदमी का खून

इतनी जल्दी

पानी नहीं होता.

ये सागर से घिरे,

वो शीश पर

गंगा धारण करते

‘ देवता अमर है ‘

आदमी की तरह

प्यासे नहीं मरते.

नल पर कितनी भीड़ है

देख मेरी सरकार

दो कलसे की खातिर

टांके लग् गए

चार.

गरीब आदमी पानी से

प्यास ही नहीं

भूख भी मिटाता है

कैसे ?

एक रोटी की कमी

दो लोटे पानी पी

पूरी करता है

ऐसे.

” क्या यह पानी

पीने योग्य है ? “

” हाँ,

यदी सच में प्यास लगी हो.”

जोखू, फिर

गंदा पानी पी रहा

उसे ‘ ठाकुर का कुआँ ‘ तो मिला

मगर सूखा हुआ.

उस दिन भी उसे

ठाकुर का कुआँ नहीं

कुएँ का पानी ही

तो चाहिए था.

कुदरत से

एक -तिहाई धरती

और दो-तिहाई

पानी मिला है,

फिर प्यास क्यों ?

जाँच हो,

ये घोटाला

कब से चला है ?

© श्री घनश्याम अग्रवाल

(हास्य-व्यंग्य कवि)

094228 60199

 

अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर श्री संजय भरद्वाज , अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे के विशेष आलेख / नाटक आप निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं >>

? संजय दृष्टि 👉  अंतरराष्ट्रीय जल दिवस विशेष – बिन पानी सब सून ?

? यूट्यूब लिंक 👉 अंतरराष्ट्रीय जल दिवस विशेष – नाटक – ” जल है तो कल है” ?

 

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Sanjay k Bhardwaj

बहुत अच्छी कविताएँ। गागर में सागर।