? वसीयत… ☆ काव्य नंदिनी ?

(ई- अभिव्यक्ति में कवियित्री काव्य नंदिनी जी  का हार्दिक स्वागत। हम समय समय पर आपकी भावप्रवण रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी स्त्री विमर्श पर आधारित एक विचारणीय कविता ‘वसीयत‘। ) 

 

जिंदगी एक कहानी नहीं हकीकत है

इस पर भी यह एक सच्ची और खरी खोटी नियत है

इसलिए इसमें सिर्फ मर्द और औरत की कहानी है

क्योंकि आज भी आंचल में दूध और आंखों में पानी है

सच्चाई कितनी भी अनदेखी की जाए मगर यह हकीकत है

आज भी औरत जन्म देती है नाम पिता का चलता है

सदियों से चला यह दस्तूर आज भी चलता है

समाज कितना भी आधुनिकता की दौड़ में शामिल हो

बस यही एक सच्ची और खरी खोटी नियत है

कि आज भी मर्द औरत को समझता है सिर्फ अपनी वसीयत है

 

© काव्य नंदिनी

जबलपुर, मध्यप्रदेश 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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