हेमन्त बावनकर

☆ शब्द मेरे अर्थ तुम्हारे – 4 ☆ हेमन्त बावनकर

☆ इंसानियत की विरासत ☆

कई किस्से-कहानियाँ

सुने और देखे।

साँसों के लिए लड़ते

मौत के बढ़ते आंकड़े देखे।

दिलों को तोड़ने वालों को

दिल जोड़ते देखे।  

दिलों में जहर-नफरत भरने वालों के 

असली चेहरे देखे।  

भीड़ की सियासत और

खामोश सियसतदान देखे।  

 

विरासत में बहुत कुछ दिया

इंसानियत ने

ऐ दोस्त!

अब जिसे जो भी देखना है

बस वह वही देखे।

 

© हेमन्त बावनकर, पुणे 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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Suraj

चंद शब्दों मे हकीक़त बयाँ l अतिसुंदर रचना

Shyam Khaparde

भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Sanjay k Bhardwaj

प्रभावी रचना।