हेमन्त बावनकर
☆ शब्द मेरे अर्थ तुम्हारे – 7 ☆ हेमन्त बावनकर☆
☆ बिझुका ! ☆
तुम
ड्राइंग रूम में
टी वी के समक्ष
ब्रेकिंग न्यूज़ में
खो गए हो
आस पास की दुनिया भूल
बिझुका हो गए हो।
तुम्हें
ब्रेकिंग न्यूज़ का नशा हो गया है
वही पक्ष देखते हो
जो तुम्हें दिखाया जाता है
और
अंजाम से भटकाया जाता है।
तुम्हारे कंधों पर बैठकर
लोकतन्त्र के विभिन्न स्तंभों के पक्षी
कांव कांव करते हैं
और तुम
चुपचाप देखते – सुनते रहते हो
बस
बिझुका की यही गति है
और
तुम्हारी यही नियति है।
© हेमन्त बावनकर
पुणे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
हमारे समय को उजागर करता ‘बिजूका’ एवं उसकी गति तथा नियति।. ..प्रभावी रचना। ??