श्री प्रहलाद नारायण माथुर
(श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें सफर रिश्तों का तथा मृग तृष्णा काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता ‘हौसला मत हारना’। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 44 ☆
☆ हौसला मत हारना ☆
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तुम हिम्मत मत हारना,
मैं अपनी सारी खुशियाँ तुम्हें दे दूँगा,
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तुम होंसला मत हारना,
मैं अपनी जिंदगी ये लम्हें तुम्हारे नाम कर दूंगा,
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तुम बुलन्दियों को छू लेना,
मैं तुम्हें अपने कंधे पर बैठा लूंगा,
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तुम भरोसा रखो मुझ पर,
मैं खुद गिर जाऊंगा मगर तुम्हें गिरने नही दूँगा,
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बस तुम बुलन्दी पर पहुंच कर,
मुझे भूल मत जाना नहीं तो तिनके की तरह बिखर जाऊंगा,
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बस एक विनती है तुमसे,
कभी भरोसा मत तोड़ना नहीं तो पूरी तरह टूट जाऊँगा ||
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© प्रह्लाद नारायण माथुर
8949706002
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈