डॉ निशा अग्रवाल
☆ कविता – सत्य की राह… ☆ डॉ निशा अग्रवाल ☆
मैं जिंदगी की राह में बढ़ती चली गई
मैं दरकिनार मुश्किलें करती चली गई।
देखे हैं मेंने डगमगाते झूठ के कदम
सच का हाथ थामे मैं बढ़ती चली गई।
सफाई से बोलते हैं झूठ आज यहां लोग
जिंदगी के सच से मैं लड़ती चली गई।
देखा है मेने झूठ को करते हुए गुरूर
सच को ही साथ मैं लिए दृढ़ ही खड़ी रही।
माखन भी झूठ से ही लगाते हैं यहां लोग
कड़वी दवाई सच की पिलाती चली गई।
रिश्ते निभाएं दिल से कभी झूठ से नही
कर्म पथ पे सच के साथ चलती ही मैं गई।
झूठ से होती हैं दिलों में भी दूरियां
चली सच की राह दूरियां मिटाती चली गई।
© डॉ निशा अग्रवाल
(ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)
एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री
जयपुर ,राजस्थान
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
Thanks a lot Sir