डॉ. सुमन शर्मा 

(ई-अभिव्यक्ति मे सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ सुमन शर्मा जी का हार्दिक स्वागत। आपने “यशपाल साहित्य में नारी चित्रण” विषय पर पी एच डी। की है। पाँच पुस्तकें (सैलाब (कविता संग्रह), मन की पाती (कविता संग्रह), रहोगी तुम वही (कहानी संग्रह), आहटें (कविता संग्रह) एवं यशपाल के उपन्यासों में नारी के विविध रूप) प्रकाशित। इसके अतिरिक्त पत्र पत्रिकाओं में विविध विषयों पर आलेख, शोध पत्र, कविताएँ प्रकाशित, आकाशवाणी से अनेक वार्तालाप, कविताएँ प्रसारित। अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन तथा पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित। संप्रति – सेवानिवृत्त प्राध्यापिका (हिन्दी), श्रीमती वी पी कापडिया महिला आर्ट्स कॉलेज, भावनगर)। आज प्रस्तुत है 78वें स्वतन्त्रता दिवस पर आपकी भावप्रवण कविता स्वतंत्र नहीं, स्वच्छंद हो गये।)

☆ स्वतंत्र नहीं, स्वच्छंद हो गये… ☆ डॉ सुमन शर्मा ☆

(78 वाँ स्वतंत्रता दिवस 🇮🇳)

कैसे करें गर्व देश पर,

हो कैसे स्वतंत्रता दिवस का अभिमान?

हो रहा जब अपने ही देश में,

डॉक्टर बेटियों का अपमान!

*

नारा देते बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ,

आत्म निर्भर उनको बनाओ।

पढ़ लिख डाक्टर बन जाती,

क्या मिल पाता उनको आत्म सम्मान?

*

लोगों की जान बचाने ख़ातिर

जन सेवा करती, भूल ऐशो-आराम।

छत्तीस घंटे सेवा देकर भी भक्षकों,

अत्याचारियों से न बचा पाती अपनी जान।

*

हीं सुरक्षित देश की नारी,

करते विचरण स्वतंत्र देश में,

खुलेआम आज भी व्यभिचारी।

स्वतंत्र नहीं, स्वच्छंद हो गये,

भूल गए हम नैतिकता सारी।

*

बलिदानों से क्रांतिकारियों के

मिल गयी स्वतंत्रता, मान सम्मान,

पर आज़ादी का मतलब क्या

ये आज भी क्या हम सके हैं जान?

*

होगा नहीं हमें इस स्वतंत्रता दिवस पर

देश पर गर्व और अभिमान,

जब तक नहीं रूकेगा देश में,

नारी का दमन ओर अपमान!

© डॉ सुमन शर्मा 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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