श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता खुशियों का झरना) 

 

Amazon India(paperback and Kindle) Link: >>>  मृग  तृष्णा  

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 20 ☆ खुशियों का झरना 

 

कभी खुशियों के झरनों की चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस एक शीतल ओस की बूंद की दरकार थी ||

 

कभी खुशियों के खजाने की चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस मोतियों सी रिश्तों की माला की दरकार थी ||

 

कभी खुशियों के समुन्द्र की चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस मीठे पानी की झील सी जिंदगी की दरकार थी ||

 

कभी फूलों की बगिया की चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस कांटों भरी जिंदगी में एक गुलाब की दरकार थी ||

 

जिंदगी हर हाल खुशनुमा हो ऐसी चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस ग़मों भरी जिंदगी में एक ख़ुशी की दरकार थी ||

 

कभी आकाश छू लेने की जीवन में चाहत नहीं थी मुझे,

मुझे तो बस अपने पैर जमीं पर रहे बस यही दरकार थी ||

 

©  प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_printPrint
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments