श्री प्रहलाद नारायण माथुर
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 22 ☆ उसूलों का जोड़ बाकी ☆
खर्च हो गयी जिंदगी बेकार के असूलों को निभाने में,
उसूलों का जोड़ बाकी गुणा भाग सब अब शून्य हो गया ||
हिफ़ाजत से रखे थे कुछ उसूलों बुढ़ापे के लिए,
डॉक्टर ने बताया तुम्हारा जीवन अब बोनस में तब्दील हो गया ||
डॉक्टर ने कह दिया अब जिंदगी का हर दिन बोनस है,
जी लो जिंदगी अपनों के संग, हर दिन सुकून से बीत जाएगा ||
मौत करती नहीं रहम कभी पल भर का भी,
मिटा लो गिले शिकवे, दिल का बोझ दिल से उतर जाएगा ||
कल तक जिंदगी ठेंगा दिखाती रही मौत को,
आज मौत हंस कर बोली,आज हंस ले कल सब शून्य हो जाएगा ||
मौत ने कहा भगवान भी नहीं दिला सकता मुझसे निजात,
आज या कल हर कोई मेरे आगोश में आकर दुनिया छोड़ जाएगा ||
© प्रह्लाद नारायण माथुर