श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता उसूलों का जोड़ बाकी । ) 

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 22 ☆ उसूलों का जोड़ बाकी ☆

 

खर्च हो गयी जिंदगी बेकार के असूलों को निभाने में,

उसूलों का जोड़ बाकी गुणा भाग सब अब शून्य हो गया ||

 

हिफ़ाजत से रखे थे कुछ उसूलों बुढ़ापे के लिए,

डॉक्टर ने बताया तुम्हारा जीवन अब बोनस में तब्दील हो गया ||

 

डॉक्टर ने कह दिया अब जिंदगी का हर दिन बोनस है,

जी लो जिंदगी अपनों के संग, हर दिन सुकून से बीत जाएगा ||

 

मौत करती नहीं रहम कभी पल भर का भी,

मिटा लो गिले शिकवे, दिल का बोझ दिल से उतर जाएगा ||

 

कल तक जिंदगी ठेंगा दिखाती रही मौत को,

आज मौत हंस कर बोली,आज हंस ले कल सब शून्य हो जाएगा ||

 

मौत ने कहा भगवान भी नहीं दिला सकता मुझसे निजात,

आज या कल हर कोई मेरे आगोश में आकर दुनिया छोड़ जाएगा ||

 

©  प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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