प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
☆ हिंदी माह विशेष – हिंदी के मुक्तक ☆ प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे ☆
(1)
हिंदी नित आगे बढ़े, यही आज अरमान।
हिंदी का उत्थान हो, यही फले वरदान।
हिंदी की महिमा अतुल, जाने सारा विश्व,
हिंदी का गुणगान हो, हिंदी का यशगान।।
(2)
हिंदी का अभिषेक हो, जो देती उजियार।
हिंदी का विस्तार हो, जो हरती अँधियार।
हिंदी तो सम्पन्न है, मंगल का है भाव,
हिंदी को पूजे सदा, अब सारा संसार।।
(3)
हिंदी तो शुभ नेग, हिंदी तीरथधाम।
फलदायी हिंदी सदा, लिए विविध आयाम।
हिंदी तो अनुराग है, हिंदी है संकल्प,
हिंदी को मानें सभी, यूँ ही सुबहोशाम।।
(4)
हिंदी में तो शान है, हिंदी में है आन।
हिंदी में क्षमता भरी, हिंदी में है मान।
हिंदी की फैले चमक, यही आज हो ताव,
हिंदी पाकर उच्चता, लाए नवल विहान।।
(5)
हिंदी में है नम्रता, किंचित नहीं अभाव।
नवल ताज़गी संग ले, बढ़ता सतत प्रभाव।
दूजी भाषा है नहीं, हिंदी तो अनमोल,
कितना नेहिल है ‘शरद’, इसका मधुर स्वभाव।।
© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
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