डॉ. शिव कुमार सिंह ठाकुर
हम ई-अभिव्यक्ति पर एक अभियान की तरह प्रतिदिन “संदर्भ: एकता शक्ति” के अंतर्गत एक रचना पाठकों से साझा कर रहे हैं। हमारा आग्रह है कि इस विषय पर अपनी सकारात्मक एवं सार्थक रचनाएँ प्रेषित करें। हम सहयोगी “साहित्यम समूह” में “एकता शक्ति आयोजन” में प्राप्त चुनिंदा रचनाओं से इस अभियान को प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है डॉ. शिव कुमार सिंह ठाकुर जी की प्रस्तुति “ भारतवासी ”।
☆ सन्दर्भ: एकता शक्ति ☆ महात्मा गाँधी जी का जबलपुर दौरा ☆
एकता और शक्ति के संधान हेतु महात्मा गांधी जी ने जबलपुर का तीन बार दौरा किया था।
बात उन दिनों की है जब मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर हुआ करती थी, कांग्रेस के 35 वें अधिवेशन के बाद देश में नई चेतना का सूत्रपात हुआ। महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन के माध्यम से छुआछूत ऊंच-नीच आदि को बदलने हेतु यात्रा प्रारंभ की। उन दिनों जबलपुर राजनीतिक मायने में अत्यंत महत्वपूर्ण शहर था।
गांधी जी को 2 दिसंबर 1933 को रेल से आना था। जबलपुर के कार्यकर्ताओं ने विचार किया कि गांधीजी कटनी तक तो रेल से आएंगे क्योंकि वहां उनका कार्यक्रम है, वहां से उन्हें जबलपुर मोटर कार द्वारा लाना सही रहेगा। उन्हीं दिनों डॉक्टर जॉर्ज डिसिल्वा जो बापू के पुराने मित्र थे, ने नई मोटर कार शेवरलेट खरीदी थी । उसे लेकर नेशनल वॉइस स्काउट के साथ, जिनका नेतृत्व गुलाब चंद गुप्ता कर रहे थे ,कटनी पहुंचे ।किसी तरह कटनी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म तक कार ले जाई गई और वहां से उन्हें राष्ट्रीय तिलक विद्यालय ले जाया गया। कटनी में 1 दिन रुकने के बाद 3 दिसंबर 1933 को जॉर्ज डिसिल्वा स्वयं कार चलाते हुए गांधी जी को लेकर संध्या के समय जबलपुर पहुंचे। यहां पहुंचने पर व्यौहार राजेंद्र सिंह के साठिया कुआं स्थित निवास पर उन्हें ठहराया गया। गांधी जी की यह दूसरी बार जबलपुर यात्रा थी ।पूर्व में वह 20 मार्च 1921 को जवाहर गंज स्थित श्यामसुंदर भार्गव के निवास खजांची भवन में ठहरे हुए थे ।उस समय गांधी जी द्वारा किया गया दौरा कांग्रेस के प्रति आम जनता का विश्वास जागृत करने का था ।उनके साथ उनकी अंग्रेजी शिष्य। मीराबेन तथा ठक्करबापा भी थे।
गांधीजी 4 दिनों तक जबलपुर में रुके और हरिजन कोष के लिए निवेदन किया । म्युनिसिपल कमेटी की ओर से द्वारका प्रसाद मिश्रा तथा डिस्टिक काउंसिल की ओर से व्यवहार रघुवीर सिंह द्वारा मानपत्र अर्पित किया गया। सामाजिक संगठन विशेषकर गुजराती समाज की ओर से भी गांधी जी का सम्मान किया गया ।इसी तरह नेशनल वॉइज स्काउट की ओर से शुभम चंद जी जैन ,सवाई मल जी जैन तथा साहित्यकार भवानी प्रसाद जी तिवारी द्वारा महात्मा गांधी को अभिनंदन पत्र अर्पित किया गया।
छावनी निवासियों ने भी गांधी जी का स्वागत किया। सदर स्थित काली मंदिर तथा अग्रवाल मंदिर आदि को हरि जनों हेतु खुलवाया गया। उस समय गांधी जी नगर में थे तब अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक भी आयोजित की गई ।जिसमें जवाहरलाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार, सरदार वल्लभभाई पटेल, सेठ जमनालाल बजाज, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सैयद महमूद एवं केएफ नरीमन आदि नेतागण शामिल थे। इन्हें गोपाल बाग में ठहराया गया था क्योंकि उन दिनों बाबू गोविंद दास जेल में थे, अतः सभी नेता गणों के ठहराने की व्यवस्था पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र ने स्वयं की थी।
महात्मा गांधी जी ने हरिजनों की दशा सुधारने और अछूतों उद्धार करने के लिए आत्म शुद्धि हेतु 21 दिन का ऐतिहासिक उपवास भी किया था। इलाहाबाद में कमला नेहरू अस्पताल का शिलान्यास महात्मा गांधी द्वारा किया जाना था, उसी यात्रा के दौरान गांधी जी ने इलाहाबाद जाते समय अल्प क्षणों के लिए जबलपुर के भेड़ाघाट स्टेशन पर उतर कर प्राकृतिक सौंदर्य देखने का कार्यक्रम बनाया। जब गांधी जी के मीरगंज स्टेशन पर उतरने की सूचना मिली तो नर्मदा प्रसाद जी सराफ, हुकुमचंद जी नारद,लक्ष्मी शंकर जी भट्ट, सेठ लक्ष्मी दास आदि भेड़ाघाट पहुंचे और गांधीजी को नर्मदा में नौका विहार, धुआंधार,बंदर कूदनी आदि का अवलोकन कराया। तत्पश्चात कार्यकर्ताओं के आग्रह पर महादेव भाई देसाई, कनु गांधी तथा महाराज कुमार विजयनगरम के साथ जबलपुर आए तथा सेठ हीर जी गोविंद जी के चेरीताल स्थित रत्न हीर निवास पर ठहरे।
गांधी जी 27 अप्रैल 1942 को बनारस विश्वविद्यालय जाते समय प्रातः कालीन जबलपुर आए, क्योंकि गांधी जी को दोपहर की गाड़ी से जाना था अतः अल्प समय के लिए मदन महल स्टेशन के समीप पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र के निवास पर रुके। विदित हो कि उनकी आगमन की पूर्व सूचना प्रसारित नहीं की गई थी, फिर भी बहुत सारे लोग उनके दर्शन को मदन महल स्टेशन पहुंच गए थे।
महात्मा गांधी जबलपुर वासियों का आदर सम्मान और प्रेम देखकर पूरे दिन जबलपुर में रुके और उस समय बाबू गोविंद दास का ऑपरेशन विक्टोरिया अस्पताल में हुआ था, उन्हें देखने के लिए गांधीजी और पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र विक्टोरिया अस्पताल गए और उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
महात्मा गांधी ने यह महसूस किया की जबलपुर की जनता का स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना अनिवार्य है अतः जबलपुर से विचार क्रांति की शुरुआत महात्मा जी ने की थी।
सादर
डॉ.शिव कुमार सिंह ठाकुर
जबलपुर
शानदार