महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.२६॥ ☆

 

नीचैराख्यं गिरिम अधिवसेस तत्र विश्रामहेतोस

त्वत्सम्पर्कात पुलकितम इव प्रौढपुष्पैः कदम्बैः

यः पुण्यस्त्रीरतिपरिमलोद्गारिभिर नागराणाम

उद्दामानि प्रथयति शिलावेश्मभिर यौवनानि॥१.२६॥

वहाँ “नीच” गिरिवास हो , पा तुम्हें जो

खिले नीप तरु से पुलक रोम हर्षित

जहाँ की गुफायें तरुण नागरों की

सुगणिका सुरति से सुगन्धित सुकर्षित

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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