महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.३३॥ ☆

 

हारांस तारांस तरलगुटिकान कोटिशः शङ्कशुक्तीः

शष्पश्यामान मरकतमणीन उन्मयूखप्ररोहान

दृष्ट्वा यस्यां विपणिरचितान विद्रुमाणां च भङ्गान

संलक्ष्यन्ते सलिलनिधयस तोयमात्रावशेषाः॥१.३३॥

जहां विपणि में हार अगणित अनेकों

सुखद शंख , सीपी , हरित मणि विनिर्मित

प्रभा पूर्ण मूंगों , तरल मोतियों से

भरेलख , जलधि भास होते प्रवंचित

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments