महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.८॥ ☆
नीवीबन्धोच्च्वासितशिथिलं यत्र बिम्बाधराणां
क्षौमं रागादनिभृतकरेष्व आक्षिपत्सु प्रियेषु
अर्चिस्तुङ्गान अभिमुखम अपि प्राप्य रत्नप्रदीपान
ह्रीमूढानां भवति विफलप्रेरणा चूर्णमुष्टिः॥२.८॥
उन वृक्ष के बीच कोमल हरित बाँस
के रंग मणि से जड़ित रूप शाली
आवास के हेतु स्वर्णिम शलाका
स्फटिक के फलक पर खड़ी जो लता सी
जिस पर ध्वनित कंगनो तालियों का
मधुर ताल स्वर मम प्रिया का नचाता
तुम्हारे सखा मोर को शाम को जो
उसी पर बसा नित्य विश्राम पाता
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈