महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१२॥ ☆
मत्वा देवं धनपतिसखं यत्र साक्षाद वसन्तं
प्रायश चापं न वहति भयान मन्मथः षट्पदज्यम
सभ्रूभङ्गप्रहितनयनैः कामिलक्ष्येष्व अमोघैस
तस्यारम्भश चतुरवनिताविभ्रमैर एव सिद्धः॥२.१२॥
गये सूज होंगे विरह में मेरे नित्य
अविकल रुदन से नयन उस प्रिया के
होंगे अधर श्याम , जलते हृदय की
व्यथित श्वांस गति की उष्णता से
कर से हटाते हुये श्याम अलकें
प्रलंबित गिरीं घिरीं अपने वदन से
दिखेगी मेरी प्रियतमा , मेघ तुमको
वहाँ ज्यों मलिन इंदु तव आवरण से
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈