महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१३॥ ☆
वासश चित्रं मधु नयनयोर विभ्रमादेशदक्षं
पुष्पोद्भेदं सह किसलयैर भूषणानां विकल्पम
लाक्षारागं चरणकमलन्यासयोग्यं च यस्याम
एकः सूते सकलम अबलामण्डनं कल्पवृक्षः॥२.१३॥
आराधना में निरत या मेरी भाँति
विरहिणी व्यथा भावना में दिखाती
या पूंछती बंदिनी सारिका से
” प्रिये क्या कभी स्वामि की याद आती ? “
मधुर भाषिणी लाड़ली तुम बहुत हो
उन्हें क्या कभी जा सकोगी भुलाई ?
यों भाव भीनी दशा में तुम्हें मेघ
आलोक में वह पड़ेगी दिखाई .
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈