श्रीमति सुजाता काले
☆ खारा प्रश्न ☆
(प्रस्तुत है श्रीमति सुजाता काले जी की एक भावप्रवण कविता । यह सच है कि सिर्फ समुद्र का पानी ही खारा नहीं होता। आँखों का पानी भी खारा होता है। हाँ, यह एक प्रश्नचिन्ह है कि स्त्री और पुरुष दोनों की आँखों का खारा पानी क्या क्या कहता है? किन्तु, एक स्त्री की आँखों के खारे पानी के पीछे की पीड़ा एक स्त्री ही समझ सकती है। इस तथ्य पर कल ई-अभिव्यक्ति संवाद में चर्चा करूंगा । )
प्रिय,
तुम्हारा मुझसे प्रश्न पूछना,
“तुम कैसी हो?”
और मेरा
आँखों का खारा पानी
छिपाकर कहना,
“मैं ठीक हूं।”
तब तुम्हारी व्यंग्य भरी
हँसी चुभ जाती थी
और गहरा छेद करती थी
हृदय में।
आज उसी प्रश्न का
उत्तर देने के लिए
आँखें डबडबा रही हैं।
प्रिय,
अब पुछो ना
तुम कैसी हो?
© सुजाता काले …
पंचगनी, महाराष्ट्र।
9975577684
मात्र कुछ शब्द पर बहुत कुछ। शब्दों की परिधि से बाहर की अव्यक्त पीड़ा और उसे प्रिय से बांटने की अप्रच्छन अभिलाषा और प्रतीक्षा। अद्भुत अभिव्यक्ति।
Very nice lines. Keep it up.
व्वा व्वा क्या बात बहुतही गहरी बात छुपी है इन आंसुओंमें.. सुंदर भाव अभिव्यक्ती कविता
आप सभी मान्यवरों का धन्यवाद ।