महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३०॥ ☆
निःश्वासेनाधरकिसलयक्लेशिना विक्षिपन्तीं
शुद्धस्नानात परुषमलकं नूनमागण्ण्दलम्बम
मत्संभोगः कथमुपनमेत स्वप्नजोऽपीति निद्राम
आकाङ्क्षन्तीं नयनसलिलोत्पीडरुद्धावकाशम॥२.३०॥
श्रृंगार साधन रहित स्नान से मात्र
उलझी अलक गाल पर लटक आती
विरह ताप से श्वांस उच्छवास जिसके
सुकोमल अरूण अधर पल्लव जलाती
जो स्वप्न मे मम मिलन कामना से
मधुर नींद का आगमन चाहती है
लखोगे उसे प्रिय नयन द्वार जिसके
सलिल धार रूकना नही जानती है
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈