महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३५॥ ☆
वामश चास्याः कररुहपदैर मुच्यमानो मदीयैर
मुक्ताजालं चिरपरिचितं त्याजितो दैवगत्या
संभोगान्ते मम समुचितो हस्तसंवाहमानां
यास्यत्य ऊरुः सरसकदलीस्तम्भगौरश चलत्वम॥२.३५॥
मम नखक्षतो से लिखित दीर्घ परिचित
मुक्ताओ की माल दुर्देव मारे
इस आ पडी विरह की दुख घडी मे
रसनाभरण आदि जिसने उतारे
जंघा मृदुल वाम मम हस्त तल ने
दुलारा जिसे रति विरति पर हमारे
शीलत सुखद तरूण कदली सुदृश गौर
होगी स्फुरति पहुंचने पर तुम्हारे
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈