महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४४॥ ☆
त्वाम आलिख्य प्रणयकुपितां धातुरागैः शिलायाम
आत्मानं ते चरणपतितं यावद इच्चामि कर्तुम
अस्रैस तावन मुहुर उपचितैर दृष्टिर आलुप्यते मे
क्रूरस तस्मिन्न अपि न सहते संगमं नौ कृतान्तः॥२.४४॥
प्रणय केलि में प्रिय तुम्हें रूठ जाती
विविध रंग से जब शिला पै बनाकर
यदि शांति हित देखना चाहता हॅू
स्वंय को सुमुखि तव चरण पर गिराकर
तभी फिर भरे अश्रू से दृष्टि मेरी
सदा लुप्त होती दिखाता नहीं है
भला क्रूर दुर्देव को मिलन अपना
वहां भी अरे सहा जाता नहीं है
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈