महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.५३॥ ☆
कच्चित सौम्य व्यवसितम इदं बन्धुकृत्यं त्वया मे
प्रत्यादेशान न खलु भवतो धीरतां कल्पयामि
निःशब्दो ऽपि प्रदिशसि जलं याचितश चातकेभ्यः
प्रत्युक्तं हि प्रणयिषु सताम ईप्सितार्थक्रियैव॥२.५३॥
तो सौम्य इतना मेरा बंधु ! उपकार
तुमसे बनेगा यही याचना है
तुम धीर हो है मुझे मेघ विश्वास
तव प्रतिवचन की नहीं कामना है
बिना कुछ कहे याचको चातको को
सदा नीर देते मधुर प्राणदायी
होती बडो की है गंभीर प्रत्युक्ति
निज प्रेम भाजन जनो हित क्रिया हो
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈