॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (41-45) ॥ ☆
सर्गः-12
टेढ़े नख अंकुश सदृश उँगली से वह नारि।
कुटिल राक्षसी रूप धर धमकायी कई बार।।41।।
झट जा जनस्थान में खर-दूषण के पास।
दिखा स्वयं की दुर्दशा कहा, ये है उपहार।।42।।
आगे कर उस नककटी को ले अपने साथ।
राक्षस झपटे राम पर, हार पै हुये अनाथ।।43।।
आती राक्षस भीड़ को अस्त्र शस्त्र ले हाथ।
धनुष लिया श्रीराम ने, सिया लखन के साथ।।44।।
एक अकेले राम थे, राक्षस कई हजार।
देखा सबने राम पर, रहे हरेक को मार।।45।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈