॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (56-60) ॥ ☆
सर्गः-12
मृत जटायु का किया फिर उनने दाह संस्कार।
उस दशरथ के मित्र को पिता समान विचार।।56।।
पथ में मार ‘कबन्ध’ को दे सद्गति श्रीराम।
पंपा गये सुग्रीव ने उनको किया प्रणाम।।57।।
अनुज वधू का कर हरण करता था जो राज।
उस बाली को मार कर दिया सुग्रीव को ताज।।58।।
तब सीता की खोज मे वानर भेजे हजार।
कपिपति ने ज्यों राम के मन के विविध विचार।।59।।
सम्पाती से ज्ञात कर रावण का स्थान।
पहुँचे सागर पार कर पवन-पुत्र हनुमान।।60।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈