॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (61-65) ॥ ☆
सर्गः-12
लंका में हनुमान ने देखी सीता दीन।
राक्षसी विष लतिकाओं के घिरी सुधैव मलीन।।61।।
देख राम की मुद्रिका चिर परिचित पहचान।
सीता ने आँसू बहा किया स्नेह सम्मान।।62।।
सीता को दे सान्त्वना सुना राम-संदेश।
‘हनु’ ने मारा ‘अक्ष’ को जारा लंका देश।।63।।
सीता-चूड़ामणि लिये जब लौटे हनुमान।
कुशल-कार्य सम्पन्न सुन हरषे राम महान।।64।।
सिय-चूड़ामणि हाथ ले, मूँद नयन कपि ओर।
प्रिया मिलन सम सुख समझ हो गये आत्मविभोर।।65।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈