॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #15 (21 – 25) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -15
टूट गया जब वृक्ष तब यम की मुष्टि समान।
लवणासुर ने शिला से किया प्रहार महान।।21।।
ऐन्द्र अस्त्र से शत्रुध्न ने कर प्रहार आसान।
मसल रेत सा चूर्ण कर, नष्ट किया पाषाण।।22।।
तब झपटा वह राक्षस उठा दाहिना हाथ।
ताड़ वृक्ष मय गिरि हो ज्यों, प्रबल प्रभज्न साथ।।23।।
विष्णु बाण से भिदा वह राक्षस गिरा विशाल।
धरती कंपित हो उठी सभी हुये बेहाल।।24।।
लवणसुर की लाश पर झपटे पक्षि प्रचण्ड।
किन्तु शत्रुध्न पर पड़े दिव्य पुष्प के खण्ड।।25।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈