॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #15 (66 – 70) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -15
मंत्र-मुग्ध सुन गान को सभा हुई निस्पन्द।
प्रात ओसकण सम गिरे अश्रु सहज सानन्द।।66।।
देख वेश, वय, मुखाकृति और राम से साम्य।
जनता हतप्रभ सी हुई बालक देख ललाम।।67।।
विस्मित थे जन सभी लख उनका निस्पृह भाव।
ली न भेंट जो राम ने दी, दिखला सद्भाव।।68।।
किसकी रचना? कौन गुरू? सीखा किससे गान?
पूँछे जाने पर किया उनने वाल्मीकि ध्यान।।69।।
अनुज सहित तब वाल्मीकि के ढिग जा श्रीराम।
किया समर्पित राज्य सब पाया मन विश्राम।।70।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈