प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ कुंडलिया – “सावन और अति वर्षा” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
[1]
सावन आया जल बहक, मौसम में आवेग।
मेघों ने हमको दिया, जल का पावन नेग।।
जल का पावन नेग, क्यारियों में रौनक है।
नदियों में सैलाब, बस्तियों में धक-धक है।
राखी का त्योहार, खुशी के पल लाया है।
ख़ूब पले अनुराग, देख सावन आया है।।
[2]
सावन आया ऐ सुनो, सब कुछ नहीं अनुकूल।
बाढ़ों के चुभने लगे, अब तो तीखे शूल।।
अब तो तीखे शूल, ज़िन्दगी देखो हारी।
मौसम चढ़ा बुखार, धरा पर भय है ज़ारी।।
बस्ती पाई दर्द, बाढ़ का पानी आया।
बिलखें पीड़ित लोग, जोश में सावन आया।।
[3]
सावन आया मीत सुन, ठंडी चले बयार।
फिर भी कम्बल दूर है, सूना है संसार।।
सूना है संसार, नहीं कुछ भी है भाता।
बस्ती है बेचैन, एक पल चैन न आता।।
दिल में है अब शोक, दुखों का भाव समाया।
आज यही बस सत्य, दर्दमय सावन आया।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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