सुश्री प्रणिता खंडकर
☆ कविता – “ऋतु बसंत…” 🦋 ☆ सुश्री प्रणिता खंडकर ☆
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बसंत ऋतुमें बोयेंगे बीज
खुशियों के,खुशहाली के,
प्यार की फसल लहरायें,
रिश्तों की गहराई में!
आओ,सृष्टी के सृजन का
सुस्वागतम्, मिल के करे,
प्रकृती की ये प्रसन्नता,
तन-मन में, भर के झूमें!
ताल-सुर की ये मिलाप,
सुनकर कोयल भी चौंकै,
फल-फूलों की बहार का उत्सव,
उम्मीदों का करें !
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© सुश्री प्रणिता खंडकर
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