महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.१३॥ ☆

 

तस्य स्थित्वा कथम अपि पुरः कौतुकाधानहेतोर

अन्तर्बाष्पश चिरम अनुचरो राजराजस्य दध्यौ

मेघालोके भवति सुखिनो ऽप्य अन्यथावृत्ति चेतः

कण्ठाश्लेषप्रणयिनि जने किं पुनर दूरसंस्थे॥१.३॥

 

हुआ स्तब्ध, चिंतित, प्रिया स्व्पन में रत

उचित जिन्हें लख विश्व चांच्ल्य पाता

उन आषाढ़घन के सुखद दर्शनो से

प्रियालिंगनार्थी हृदय की दशा क्या ?

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय 

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