महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.१५॥ ☆
रत्नच्चायाव्यतिकर इव प्रेक्ष्यमेतत्पुरस्ताद
वल्मीकाग्रात प्रभवति धनुःखण्डम आखण्डलस्य
येन श्यामं वपुर अतितरां कान्तिम आपत्स्यते ते
बर्हेणेव स्फुरितरुचिना गोपवेषस्य विष्णोः॥१.१५॥
यथा कृष्ण का श्याम वपु गोपवेशी
सुहाता मुकुट मोरपंखी प्रभा से
तथा रत्नछबि सम सतत शोभिनी
कान्ति पाओगे तुम इन्द्र धनु की विभा से
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय