श्री प्रयास जोशी
(श्री प्रयास जोशी जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आदरणीय श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं। आपको वरिष्ठ साहित्यकार के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है।
ई- अभिव्यक्ति में हमने सुनिश्चित किया था कि – इस बार हम एक नया प्रयोग करेंगे । श्री सुरेश पटवा जी और उनके साथियों के द्वारा भेजे गए ब्लॉगपोस्ट आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। निश्चित ही आपको नर्मदा यात्री मित्रों की कलम से अलग अलग दृष्टिकोण से की गई यात्रा अनुभव को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा। इस यात्रा के सन्दर्भ में हमने यात्रा संस्मरण श्री सुरेश पटवा जी की कलम से आप तक पहुंचाई एवं श्री अरुण कुमार डनायक जी की कलम से आप तक सतत पहुंचा रहे हैं। हमें प्रसन्नता है कि श्री प्रयास जोशी जी ने हमारे आग्रह को स्वीकार कर यात्रा से जुडी अपनी कवितायेँ हमें, हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करने का अवसर दिया है। इस कड़ी में प्रस्तुत है उनकी कविता “नर्मदा की आवहवा”।
☆ नर्मदा परिक्रमा – द्वितीय चरण – कविता # 1 – नर्मदा की आवहवा ☆
बेटे ने,
सामान उठाते हुये कहा-
पापा! अपनी आदत के बोझ को
थोड़ा कम करिये
—पिता ने, हंसते हुये कहा-
बेटा! समय के उधड़े होने के बावजूद
इस झोले में मुझे
यादों का भार बिल्कुल नहीं लगता…
—मैं, तो सिर्फ इसलिये कह रहा हूँ पापा
कि जब आप पिछली बार आये थे
तो होशंगाबाद, इटारसी की
कितनी सारी सब्जियाँ लाद लाये थे
परेशानी उठाने की कोई
फालतू जरूरत नहीं है पापा
यहां बेंगलौर में,
सब मिलता है
इस बार मम्मी ने कहा-
लेकिन बेटा ! इस बार हम
करेली का गुड़,
नरसिंहपुर की मटर
और
जबलपुर के सिंघाड़े लाये हैं…
—बेटा, हँसा….
— पिता ने कहा-
मैं, क्या यह नहीं जानता कि
दुनिया में हर जगह,
हर चीज मिलती है?
लेकिन इन में नर्मदा का पानी
मिट्टी और आवहवा है
जिसके दम पर तुम
दुनिया भर में उड़ते-फिरते हो,
समझे …
पापा! आप भी बस..
—पापा ने बहू से कहा—
मेरे इस झोले को
संभाल कर रखना, संध्या!
लौटते समय मैं/
इसी झोले में
कावेरी का पानी
मिट्टी और आवहवा लेकर
भोपाल जांउगा मैं…
© श्री प्रयास जोशी
भोपाल, मध्य प्रदेश