श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि ☆ विराम ☆
फिर…?
कुछ अलग करते हैं। कहीं लाँग ड्राइव पर निकलते हैं। जी भरके प्रकृति को निहारेंगे। शाम को पंडित जी का सुगम संगीत का कार्यक्रम है। लौटते हुए उसे भी सुनने चलेंगे।
उस रात उसने प्रकृति के वर्णन और सुगम संगीत के श्रवण पर दो संस्मरण लिखे।
© संजय भारद्वाज
अपराह्न 2:43 बजे, 15 जून 2020
# आपका दिन सृजनशील हो।
मोबाइल– 9890122603
न लिखने की चाह होने पर भी लिखने का मनपसंद मसाला मिलते ही कलम स्वयमेव चल पड़ती है।
रचनाकार और कलम का आजीवन साथ रहता है। न मंथन रमता है न कलम रुकती है।रचनाकार की यही तो तपस्या है।बहुत खूब!!