श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि ☆ अन्यमनस्क ☆
पग-पग आगे बढ़ो
सफलता के सूत्र इनसे पढ़ो,
सदा परफेक्शन चुनो
मन से काम करना इनसे गुनो,
अपने परिचय पर
मैं अचकचा गया,
जीवनभर जो
अन्यमनस्क रहा,
मन से काम करने का
रोल मॉडेल भला कैसे हुआ?
© संजय भारद्वाज
रात्रि 11:06 बजे, 1 जनवरी 2021
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मोबाइल– 9890122603
अन्यमनस्कता लिखने की बेचैनी को प्रदर्शित करती है।
निष्काम सक्रियता का प्रतिफल है रचनाकार !
सतत बिना थके ,रुके अनजाने में अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रचनाकार की
रचना-शक्ति पर सरस्वती माता के हस्ताक्षर हुए अन्यथा” रोल माॅडेल “बनना असंभव था ….
अहंकार रहित नि: स्वार्थ सेवा फलीभूत हुई …