हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – सूची ☆ श्री संजय भारद्वाज
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – सूची ☆
तय हैं कुछ नाम
जो मेरी अर्थी को
कांधा देंगे..,
कुछ मेरे समकालीन
कुछ मेरे अग्रज भी हैं
इस सूची में,
बशर्ते
वे मुझसे पहले न जाएँ,
पर मित्र
आज मैंने
वंचित
या यूँ समझो
मुक्त कर दिया तुम्हें
उस अधिकार से;
इसलिए नहीं कि
मैं तुम्हारे बाद भी रहूँ,
इसलिए कि तुमने
हड़बड़ी कर दी
और जीते-जी
मेरे.. शायद हमारे
विश्वास को
अर्थी पर लिटाने का
प्रयास कर,
छोटी सूची
और छोटी कर दी!
© संजय भारद्वाज
(21.1.2016, प्रात: 9:11बजे)
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
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