हिन्दी साहित्य – रंगमंच ☆ दो अंकी नाटक – एक भिखारिन की मौत -6 ☆ श्री संजय भारद्वाज

श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। 

हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ रहे थे। हम संजय दृष्टिश्रृंखला को कुछ समय के लिए विराम दे रहे हैं ।

प्रस्तुत है  रंगमंच स्तम्भ के अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य नाटक प्रमाणन बोर्ड द्वारा मंचन के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त धारावाहिक स्वरुप में श्री संजय भारद्वाज जी का सुप्रसिद्ध नाटक “एक भिखारिन की मौत”। )

? रंगमंच ☆ दो अंकी नाटक – एक भिखारिन की मौत – 6 ☆  संजय भारद्वाज ?

रमेश-  वाह मान गए मधु वर्मा। वेरी गुड शॉट विद क्लासिक टच ऑफ सेंटीमेंट्स एंड रियलिटी।

मधु-थैंक्यू।

रमेश- बाय द वे आय एम रमेश अय्यर। हिंदी ‘नवप्रभात’ का संपादक हूँ। (मधु हाथ मिलाती है।) मेरी साथी पत्रकार अनुराधा चित्रे।

मधु- हैलो।

अनुराधा- हैलो।

मधु- प्लीज हैव ए सीट।

रमेश-मधु लगता है इस बार तुम आलोचकों का मुँह बंद कर दोगी। मधु  को अभिनय नहीं आता, मधु इंग्लिश टोन में संवाद बोलती है… इंग्लिश टोन की हिंदी तो छोड़ो, ठेठ भोजपुरी में संवाद!

मधु- क्रिटिक्स? क्रिटिक्स की तो…( हँसती है।) छोड़ो यार तुम भी तो क्रिटिक हो। मुझे क्रिटिक्स पर बहुत गुस्सा आता है पर कुछ बोल दूँगी तो कल फिर हेडलाइंस होंगी कि मधु घमंडी है। अभी फ्लॉप है तो यह हाल है, कल अगर हिट हो जाएगी तो क्या होगा, वगैरह-वगैरह..( हँसती है।)  कहो कैसे याद किया? मेरे बारे में कोई नया गॉसिप छपा है क्या?

अनुराधा- मधु जी,  हम एक इंटरव्यू सीरीज़ तैयार कर रहे हैं।

मधु- कैसी इंटरव्यू सीरीज़? वैसे माफ कीजिएगा मैंने आपको पूछा नहीं कि क्या लेंगे? यहाँ कोल्ड ड्रिंक्स से लेकर… रादर सॉफ्ट ड्रिंक्स  से लेकर हार्ड ड्रिंक्स तक सब मिल जाएगा।

रमेश- नो थैंक्स। फिलहाल तो इंटरव्यू के सिवा दूसरा कुछ नहीं लेंगे।

मधु- (हँसती है।)

अनुराधा-  मधु जी, आपने उस मेनपोस्ट वाली भिखारिन को तो देखा होगा।

मधु- भिखारिन? आप फिल्मस्टार मधु वर्मा के पास किसी भिखारिन की बात लेकर आए हैं। आर यू ऑलराइट?

रमेश- वी आर वेरी मच ऑलराइट मिस मधु वर्मा। लेट मी एक्सप्लेन इट। ऐसा है मधु कि पिछले कुछ दिनों से मेनपोस्ट वाली वह भिखारिन इन काफी चर्चा में थी।

मधु- रमेश आप उस न्यूड भिखारिन की बात कर रहे हैं?

रमेश- हाँ वही। वह भिखारिन आज अपनी मौत के बाद भी एक इशू है इस शहर के लिए। हमने सोचा कि समाज के अलग-अलग लोगों से उनकी रिएक्शन्स जानी जाएँ इस मामले पर।… हमने एसीपी भोसले का इंटरव्यू किया। प्रसिद्ध चित्रकार नज़रसाहब का इंटरव्यू किया। फिल्म इंडस्ट्री से आपको चुना।

मधु- ओह थैंक्यू! पूछिए, क्या पूछ रही थीं आप?

अनुराधा- मधु जी आपने उस भिखारिन को देखा था?

मधु- हाँ देखा था। मैं कामत के स्टूडियोज में जा रही थी। कार सिग्नल की वज़ह से मेनपोस्ट पर काफी देर रुकी थी इसलिए उस भिखारिन को देखने का मौका मिल गया।

अनुराधा- जब आपने उसे देखा तो वह क्या कर रही थी?

मधु- क्या कर रही थी? (जोर से हँसती है।)..वॉट डू यू मीन? भिखारी क्या कर सकता है?

अनुराधा-आय मीन लोगों से भीख मांग रही थी। लोग उसे भीख दे रहे थे। या ऐसा ही कुछ..?

मधु- नहीं, ऐसा कुछ नहीं। यू नो मैंने जब उसे देखा तो उसने बदन के ऊपर के हिस्से पर कुछ भी नहीं पहना था। न खुद को हाथों से ही ढकने की कोशिश की थी। वह तो मेेनपोस्ट की दीवार का सहारा लिए चुपचाप आसमान को देख रही थी।

अनुराधा- लोग उसे भीख दे रहे थे?

मधु- शिट..। उसे देखने के बाद ऐसी घटिया बातें सोच में आ ही नहीं सकती थीं। शी वॉज़ मारवेलेस, ब्यूटीफुल, मोनालिसा ब्यूटी, वीनस टच..। यू नो, ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत की ख़ूबसूरती से जलन हुई। अ पीस ऑफ इटरनल ब्यूटी, अ सिम्बल ऑफ सेक्स। अगर किसी प्रोड्यूसर की नज़र पड़ जाती उस पर तो वह औरत करोड़ों में खेलती।

अनुराधा- आपने उसे कुछ भीख देनी चाही?

मधु-वॉट डू यू एक्सपेक्ट फ्रॉम मी? फिल्म स्टार मधु वर्मा अपनी गाड़ी से उतरकर एक भिखारिन को  भीख देने जाए? पॉसिबल ही नहीं था…और होता भी तो मैं नहीं देती।

अनुराधा- क्यों?

मधु- शी वॉज़ सो ब्यूटीफुल। मैं तो उसे अपनी नज़रों में भर रही थी। उसकी वह फिगर, वे  फीचर्स सब मेरे ख़याल में हैं। मूवी में चांस मिला और रोल की डिमांड हुई तो मैं अपने ऑडियंस के लिए ऐसा सीन करना पसंद करूँगी पर…. साला यह सेंसर बोर्ड बीच में आ जाता है। (हँसती है।)

अनुराधा- कोई और कमेंट उस भिखारिन के बारे में?

मधु- नहीं बस वही ब्यूटी… क्या कहते हैं आप लोग हिंदी में…सुंदर-सुंदरया.. ऐसा कुछ वर्ड है न!

रमेश- सौंदर्य।

मधु- हाँ, हाँ, वही। यू नो हिंदी इज़ वेरी टफ़ यार। सौंदर्या का अद्भुत नमूना, मेनपोस्ट की अधनंगी भिखारिन। (हँसती है।)…….अच्छा हुआ, मर गई नहीं तो कई हीरोइनस् को खतरा पैदा हो जाता।…(जोर से हँसती है।)

(पार्श्व में वही अँग्रेज़ी धुन। मधु दोनों पत्रकारों को विदा करती है। फिर अपने रिहर्सल में जुट जाती है।)

।।इति प्रथम अंक।।

क्रमशः …

नोट- ‘एक भिखारिन की मौत’ नाटक को महाराष्ट्र राज्य नाटक प्रमाणन बोर्ड द्वारा मंचन के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त है। ‘एक भिखारिन की मौत’ नाटक के पूरे/आंशिक मंचन, प्रकाशन/प्रसारण,  किसी भी रूप में सम्पूर्ण/आंशिक भाग के उपयोग हेतु लेखक की लिखित पूर्वानुमति अनिवार्य है।

©  संजय भारद्वाज

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

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9890122603

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈