श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय लघुकथा – नींद-।)
☆ लघुकथा ☆ नींद ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
सुमित अपनी पत्नी नीतिका और ढाई साल के बेटे राहुल के साथ महीने भर के लिए घूमने विदेश आया था। अभी पाँचवाँ दिन था। नीतिका की इस बीच व्हाट्स एप पर अपनी सास से बात होती रही थी। आज उसके फोन पर सास का मैसेज आया। पूछा था – राहुल को ठीक से नींद आ जाती है न? नीतिका से कोई उत्तर देते नहीं बना, बरबस उसकी आँखें भीग गयीं। दो मिनट बाद फिर मैसेज आया – मैं समझ गई बेटा, देखो, उसको सुलाने का एक तरीक़ा है, उसे अपनी बाईं बाजू पर लिटा कर दाएँ हाथ से उसकी पीठ के ठीक बीच रीढ़ की हड्डी को गुदगुदाया करो। वह तुरन्त सो जायेगा।
नीतिका ने जवाब में लिखा – जी माँ जी। अब वह फिर रो रही थी। वह कैसे लिखती कि उसे सुलाने के लिए मैं ठीक ऐसे ही करती हूँ, पर रीढ़ पर गुदगुदाते ही वह इधर-उधर दादी को देखता है और सुबकने लगता है।
© हरभगवान चावला
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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈