जय प्रकाश पाण्डेय
एक शेरनी सौ लंगूर
(प्रस्तुत है श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का यह सटीक व्यंग्य)
एक साल पहले सरकारी फंड से बने स्कूल की दीवार इस बरसात में भरभरा के गिर गई तो दुर्गा पंडित जी पड़ोस के खपरैल मकान की परछी में टाट पट्टी बिछा कर क्लास लगाने लगे। गांव के स्कूल की दीवारों पर ‘स्कूल चलें हम’ की इबारत लिखी देखकर कई बच्चे बिचक जाते फिर दुर्गा पंडित जी छड़ी लेकर उनको हकालते। बीच-बीच में गाली भी बकते जाते, बात बात में गाली बकना उनकी आदत ही है।
स्कूल में पहले प्रार्थना होती, फिर भजन होते हैं। जो बच्चा भजन नहीं गाता पंडित जी उसके पिछवाड़े में छड़ी चलाते । दुर्गा पंडित जी भजनों के बहुत शौकीन हैं। जब से उन्होंने अखबार में भजन गाने वाले डुकर की छोटी परी जस लीन की खबर पढ़ी है तब से उनको……. “ऐसी लागी लगन’ वो भी हो गई मगन………” वाला भजन बार बार याद आता है। मेज में छड़ी पटकने के साथ पीरियड चालू हो जाता है, काले श्याम पट पर चाक से दिन और दिनांक लिख दी जाती है ।
छड़ी उठी छकौड़ी की तरफ…. “हां, तो छकौड़ी अपने प्रधानमंत्री का नाम बताओ?”
छकौड़ी – “भजन करेंगे… भजन करेंगे…. उनका नाम कल किसी से पता करेंगे…..”
छड़ी बढ़ी छकौड़ी के घुटने पर पड़ी।
दुर्गा पंडित जी बड़बड़ाने लगे – “बुरा हाल है शिक्षा का… मोबाइल ने बर्बाद कर दिया, सरकार शिक्षा पर ज्यादा प्रयोग करती रहती है स्कूल चलें हम लिखवाती है और नकली डिग्री के बल पर लोग शिक्षा के मंत्री बन जाते हैं।आजकल की औलाद बहुत उज्जड्ड है कुछ पूछो कुछ बताती है। भजन गायक हारमोनियम बजा बजा के “भजन बिना, चैन न आये राम “
गाते गाते नयी उमर की बाला के प्यार में पड़ जाते हैं बच्चे सुनते हैं तो हंसते हैं। बच्चों का मन भटकने लगता है। मन भटकने से वे प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं बता पाते हैं।बच्चे भोले होते हैं धारा 377 में कैसा – क्या होता है बार बार पूछते हैं। मास्टर जी नहीं बता पाते तो बाहर जाकर हंसी उड़ाते हैं। मोबाइल युग के बच्चे बड़े समझदार हो गए हैं, दुर्गा पंडित जी भजन गाते हुए पड़ोसन के घर घुसते हैं तो बच्चे तांका झांकी करते हैं। हंसते हैं….. मजाक उड़ाते हैं, फिर मेडम के पास धारा 497 का मतलब पूछने जाते हैं। मेडम चाव से अखबार पढ़ कर एडल्टरी के बारे में पूरी बात बताती हैं। एक बार-बार फेल होने वाला हृष्ट पुष्ट बच्चा मेडम को प्यार से देखता है। मेडम शादीशुदा हैं पर पति से चिढ़ती हैं पति महिलाओं की भजन मंडली में हारमोनियम बजाते हैं।
लंच टाइम के बाद फिर छड़ी उठी और सरला की चोटी में फँस गयी। सरला तुम जलोटा का संधि विग्रह करके श्याम पट में लिखो। सरला होशियार है उठ कर शयामपट में लिख देती है… ” जलो +टाटा”
दुर्गा पंडित जी बताते हैं कि भजन में बड़ी शक्ति होती है और भजन में बड़ा वजन होता है भजन से तनाव दूर होता है और भजन करते करते मन जस लीन में लीन हो जाता है।
चुनाव के पहले बड़े बड़े अविश्वसनीय ऐतिहासिक पार्टी सुधारक फैसले आ रहे हैं कई बड़े नेता इन फैसलों से खुश हैं और नेता जी की बड़ी जीत बताते हैं। अभी अभी खबर आयी है कि “वो आ गई है” फिर से गली मोहल्ले की चौपाल में लोग बड़बड़ायेंगे…
“एक शेरनी सौ लगूंर”
शेरनी के फैसलों से हर गली मुहल्ले में नयी नयी भजन मंडलियां बनेगीं और बच्चे नयी नवेली संस्कृति से परिचित होंगे। नये नये रोमांचक रहस्यमय वीडियो वाईरल होंगे। लोग मजे लेंगे दवाईयों की दुकान में खास तरह की दवाईयों और तेल की मांग बढ़ जाएगी। स्कूलों के टायलेट में सीसीटीवी लगाने का धंधा बढ़ जाएगा। चुनाव और तीज त्योहारों में हारमोनियम बजाने वाले की डिमांड बढ़ जाएगी। दुख है कि तब तक दुर्गा पंडित जी रिटायर हो जाएंगे और खटिया में डले डले टी वी में भजनों के कार्यक्रम भी देखेंगे और देखेंगे यू पी के रिजल्ट……. ।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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