श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है एक संस्मरण ‘अंखियों के झरोखों से’ )
☆ विजय दिवस विशेष – अंखियों के झरोखों से ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
सन् 1971 भारत-पाक युद्ध। 16 दिसंबर स्वर्णिम विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे जवानों ने जबरदस्त साहस दिखाया था, दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे,93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने तिरंगे के सामने आत्मसमर्पण किया था। जनरल नियाजी के साथ 8 पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को संस्कारधानी के सीएमएम में युद्धबंदी के रूप में रखा गया था।
शत्रु सेना के आत्मसमर्पण के बाद इन अधिकारियों को रखने के लिए जबलपुर को सबसे उपयुक्त और सुरक्षित माना गया था।सीएमएम में लेफ्टिनेंट जनरल ए ए के नियाजी के साथ मेजर जनरल मुहम्मद हुसैन,मेजर जनरल हुसैन शाह,मेजर जनरल राव फरमान अली,मेजर जनरल मुहम्मद जमशेद,मेजर जनरल काजी अब्दुल मजीद खान,रियर एडमिरल मुहम्मद शरीफ ,एयर कमांडर इनामुलहक को विशेष सुरक्षा में रखा गया था।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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