हिन्दी साहित्य – संस्मरण ☆ शिक्षक दिवस विशेष – पिता की अभिलाषा – अब्राहम लिंकन ☆ श्री अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन ☆

श्री अजीत सिंह

(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन) हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं।  इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है अविस्मरणीय संस्मरण  ‘शिक्षक दिवस विशेष – पिता की अभिलाषा – अब्राहम लिंकन । हम आपसे आपके अनुभवी कलम से ऐसे ही आलेख समय समय पर साझा करते रहेंगे।)

अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन (1861-65)

☆ संस्मरण ☆ शिक्षक दिवस विशेष – पिता की अभिलाषा – अब्राहम लिंकन ☆  श्री अजीत सिंह ☆

एक पिता जब अपने पुत्र को स्कूल में दाखिल करने जाता है तो वह कामना करता है कि अध्यापक सभी श्रेष्ठ गुण उसके पुत्र में डाल दे।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने इसी भावना को लेकर अपने पुत्र के अध्यापक को एक पत्र लिखा जो प्राय: हर पिता की कामना को बड़े ही प्रभावी ढंग से उल्लेखित करता है। अध्यापक दिवस पर इस पत्र का हर बार जिक्र होता है। पत्र अंग्रेज़ी भाषा में है। प्रस्तुत है इसका हिंदी  अनुवाद ।

माननीय अध्यापक जी,

आज मेरा बेटा स्कूल में पढ़ने जा रहा है, इसे प्यार से वह सब पढ़ाइए, जो इसे पढ़ना चाहिए।

जीवन संघर्ष में इसे सात समुंदर पार भी जाना पड़ सकता है, हो सकता है उसे युद्ध, विपदाओं और संकटों का सामना भी करना पड़े,  इस के लिए उसे आत्मविश्वास, हौसले और प्यार की जरूरत होगी, अत: हे अध्यापक महोदय, कृपया उसका हाथ थामिए और सहज भाव से उसे वे सब गुण सिखाइए जो उसे सीखने चाहिएं।

उसे यह भी बताना कि जहां दुश्मन होते हैं, वहां दोस्त भी होते हैं। उसे यह भी पता होना चाहिए कि सभी आदमी सही नहीं होते, सभी आदमी सच्चे भी नहीं होते। पर जहां एक दुष्ट मानव होता है, वहां एक श्रेष्ठ नायक भी होता है। एक बेईमान राजनीतिज्ञ  होता है तो एक निष्ठावान नेता भी होता है।

अध्यापक महोदय, मेरे बेटे को यह भी शिक्षा देना कि अपनी कमाई के दस पैसे, कहीं से मुफ्त में मिले एक रूपये से कहीं बेहतर होते हैं। उसे यह भी बताना कि- परीक्षा में नकल करने की बजाए फेल हो जाना, कहीं अधिक सम्मानजनक होता है। यह भी समझाना कि हार को किस तरह सम्मानपूर्वक स्वीकार करना है, और जीत का आनंद कैसे उठाना है। उसे समझाना कि आम लोगों के साथ नरमी से पेश आए, पर टेढ़े लोगों के साथ सख्ती से पेश आए।

अध्यापक महोदय, मेरे बेटे को ईर्ष्या से दूर रहना सिखाना, उसे मंद मुस्कान का रहस्य भी समझाना। उसे सिखाना उदासी के समय मुस्कुराना, आंख में आंसू आने पर नहीं शर्माना, यह भी आप उसे बतलाना। उसे बताना कि असफलता में भी गरिमा हो सकती है, और सफलता में दुख भी जुड़ा हो सकता है। मेरे बेटे को सनकी लोगों से दूर रहना भी सिखाना।

पुस्तकों के चमत्कार से उसका परिचय कराना, आकाश में उड़ते परिंदों के रहस्य समझाना, पर्वत घाटियों में उगते फूलों को दिखाना, मधुमक्खियों के संगीत को समझाना।
उसे बताना कि वह अपने विचारों व आदर्शों पर पूरा यकीन रखते हुए अडिग रहे, भले ही पूरी दुनिया उसे गलत कहे।

अध्यापक महोदय, मेरे बेटे को समझाना कि वह औरों की तरह भीड़ के पीछे न चले, उसे शिक्षा देना कि वह हर किसी की बात सुने, उसे सत्य की कसौटी पर परखे और केवल अच्छाई ग्रहण करे। उसे सिखाना कि वह अपने दिमाग की योग्यता उसे दे जो सबसे ऊंची बोली लगाए, पर अपने दिल और आत्मा को किसी भी कीमत पर न बेचे।

उसके हौसले में बेसब्री हो और उसकी बहादुरी में सब्र हो। उसे अपने आप में गहन मधुर विश्वास रखना सिखाना, तभी वह मानवता और  ईश्वर में अटूट गहन विश्वास रख पाएगा।

अध्यापक महोदय, यह मेरी कामना की सूची है। अध्यापक होने के नाते आप देखना किस सीमा तक आप मेरे बेटे को श्रेष्ठ बना सकते हैं।

वह छोटा सा, प्यारा सा बच्चा है। वह मेरा बेटा है।

मूल लेखक अब्राहम लिंकन

भावानुवाद –  श्री अजीत सिंह

पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार।

मो : 9466647034

(लेखक श्री अजीत सिंह हिसार स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं । वे 2006 में दूरदर्शन केंद्र हिसार के समाचार निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।)

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈