मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना
आचार्य भगवत दुबे
(आज प्रस्तुत है हिंदी साहित्य जगत के पितामह गुरुवार परम आदरणीय आचार्य भगवत दुबे जी का एक समसामयिक, प्रेरक एवं शिक्षाप्रद कविता “बैरन या कैसी बीमारी ?”। हम आचार्य भगवत दुबे जी के हार्दिक आभारी हैं जिन्होंने मानवता के अदृश्य शत्रु ‘ कोरोना ‘ से बचाव के लिए शिक्षाप्रद सन्देश अपनी अमृतवाणी के माध्यम से बुंदेली भाषा में दिया है । इस कार्य के लिए हमें श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का सहयोग मिला है, जिन्होंने उनकी कविता को अपने मोबाईल में स्वरांकित कर हमें प्रेषित किया है। यह गीत समय पर प्राप्त हो गया था किन्तु, अस्वस्थता के कारण सम्पादित करने में विलम्ब हेतु मुझे खेद है – हेमन्त बावनकर )
आप आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत आलेख निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं :
हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆ – हेमन्त बावनकर
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर तीन पी एच डी ( चौथी पी एच डी पर कार्य चल रहा है) तथा दो एम फिल किए गए हैं। डॉ राज कुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के साथ रुस यात्रा के दौरान आपकी अध्यक्षता में एक पुस्तकालय का लोकार्पण एवं आपके कर कमलों द्वारा कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्रदान किए गए। आपकी पर्यावरण विषय पर कविता ‘कर लो पर्यावरण सुधार’ को तमिलनाडू के शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। प्राथमिक कक्षा की मधुर हिन्दी पाठमाला में प्रकाशित आचार्य जी की कविता में छात्रों को सीखने-समझने के लिए शब्दार्थ दिए गए हैं।
आचार्य भगवत दुबे
शिवार्थ रेसिडेंसी, जसूजा सिटी, पो गढ़ा, जबलपुर ( म प्र) – 482003
मो 9691784464