श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं । सेवारत साहित्यकारों के साथ अक्सर यही होता है, मन लिखने का होता है और कार्य का दबाव सर चढ़ कर बोलता है।  सेवानिवृत्ति के बाद ऐसा लगता हैऔर यह होना भी चाहिए । सेवा में रह कर जिन क्षणों का उपयोग  स्वयं एवं अपने परिवार के लिए नहीं कर पाए उन्हें जी भर कर सेवानिवृत्ति के बाद करना चाहिए। आखिर मैं भी तो वही कर रहा हूँ। आज से हम प्रत्येक सोमवार आपका साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है एक समसामयिक भावप्रवण रचना “लाॅकडाऊन”।  श्री श्याम खापर्डे जी ने  इस कविता के माध्यम से लॉकडाउन की वर्तमान एवं सामाजिक व्याख्या की है जो विचारणीय है।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 10 ☆ 

☆ तितलियाँ ☆ 

 

आसमान में उड़ती

ये रंग बिरंगी तितलियाँ

रंगीन परों से रंग बिखेरती

रंग बिरंगी तितलियाँ

हर किसी का मन लुभाती

रंग बिरंगी तितलियाँ

आँखों को कितना सुहाती

रंग बिरंगी तितलियाँ

लाल, गुलाबी, सफेद,काली

भूरी बैंगनी,हरी, पीली

नारंगी, सुनहरी, नीली

कुछ चाँदी सी चमकती

ये मनभावन तितलियाँ

ये फूलों पर मंडराती

उनपर परागकण लुटाती

कलियों को फूल बनाती

ये परोपकारी तितलियाँ

भ्रमरों के संग खेलती रहती

पर सदा उनसे बचकर रहती

ये भोली भाली तितलियाँ

ईश्वर बुरी नजर से

इन को  बचाये

तितलियों पर कोई

आँच ना  आये

वाटिका की जान है

श्रृंगार है, शान है

सदा यूं ही उड़ती जाये

आसमान में पर फैलायें

रंगों सी झिलमिलाती

छोटी बड़ी तितलियां

 

© श्याम खापर्डे 

03/10/2020

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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