श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं । सेवारत साहित्यकारों के साथ अक्सर यही होता है, मन लिखने का होता है और कार्य का दबाव सर चढ़ कर बोलता है। सेवानिवृत्ति के बाद ऐसा लगता हैऔर यह होना भी चाहिए । सेवा में रह कर जिन क्षणों का उपयोग स्वयं एवं अपने परिवार के लिए नहीं कर पाए उन्हें जी भर कर सेवानिवृत्ति के बाद करना चाहिए। आखिर मैं भी तो वही कर रहा हूँ। आज से हम प्रत्येक सोमवार आपका साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है एक समसामयिक भावप्रवण रचना “मास्क”। श्री श्याम खापर्डे जी ने इस कविता के माध्यम से मास्क के महत्व की चर्चा की है जो विचारणीय है।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 11 ☆
☆ मास्क ☆
दुविधा में है हर व्यक्ति
मिट ना जाये उसकी हस्ती
राह कोई सूझत नाही
डूब ना जाये जीवन की कस्ती
टोने टोटके काम ना आयें
व्यर्थ हो गई सारी सलाहें
तीव्र गति से फैलता जायें
कैसे रोकें कोई बतायें
लक्षण इसके समझ ना आये
हो जाये तब उभर कर आये
फेल हो गई सारी थ्योरी
कैसे अपनी जान बचाये
वैक्सिन नहीं जलद आने वाली
घोषणाएं है यह सब खाली
मास्क ही है बस एक उपाय
बिना मास्क कैसे करोगे रखवाली
मास्क आज कितना जरूरी है
मास्क बिना हर बात अधूरी है
मास्क नहीं तो कैसा जीवन
मास्क पहनना अब मजबूरी है
© श्याम खापर्डे
09/10/2020
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