आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी की एक रचना बिटिया की नोक-झोंक। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 25 ☆
☆ बिटिया की नोक-झोंक ☆
बिटिया की नोक-झोंक
ताजा पुरवैया सी
?
अम्मा सम टोंक रही
चाहे जब रोक रही
ठुमक मचल करवा जिद
पूरी, झट बाँह गही
तितली सम उड़े, खेल
ता ता ता थैया सी
बिटिया की नोकझोंक
ताजी पुरवैया सी
?
धरती पर धरती पग
हाथों आकाश उठा
बाधा को पटक-पटक
तारे हँस रही दिखा
बेशऊर लोगों को
चुभे भटकटैया सी
बिटिया की नोंकझोंक
ताजी पुरवैया सी
?
बात मान-मनवाती
इठलाती-इतराती
बिन कहे मुसीबत में
आप कवच बन जाती
अब न मूक राधा यह
मुखर है कन्हैया सी
बिटिया की नोकझोंक
ताजा पुरवैया सी
?
© आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
३-५-२०२०
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