प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

( आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित नवरात्रि पर्व पर विशेष देवी गीत – मात जगदंबे । ) 

☆ नवरात्रि विशेष  ☆ देवी गीत – मात जगदंबे  ☆

हे जग की पालनहार मात जगदंबे

हम आये तुम्हारे द्वार मात जगदंबे

 

तुम आदि शक्ति इस जग की मंगलकारी

तीनों लोकों में महिमा बड़ी तुम्हारी ,

इस मन की सुनो पुकार मात जगदंबे

 

देवों का दल दनुजों से था जब हारा

असुरों को माँ तुमने रण में संहारा ,

तव करुणा अपरम्पार मात जगदंबे

 

चलता सारा संसार तुम्हारी दम से

माँ क्षमा करो सब भूल हुई जो हम से,

तुम जीवन की आधार मात जगदंबे

 

हर जन को जग में भटकाती है माया

बच पाया वह जो शरण तुम्हारी है पाया ,

माया मय है संसार मात जगदंबे

 

माँ डूब रही नित भवसागर में नैया

है दूर किनारा कोई नहीं खिवैया,

संकट से करो उबार मात जगदंबे

 

सद् बुद्धि शांति सुख दो मां जन जीवन को

हे जग जननी सद्भाव स्नेह दो मन को ,

बस इतनी ही मनुहार  मात जगदंबे

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर

[email protected]

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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