श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय  एवं  साहित्य में  सँजो रखा है ।

आज से प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ  के अंतर्गत आमने -सामने शीर्षक से  आप सवाल सुप्रसिद्ध व्यंग्यकारों के और जवाब श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी के  पढ़ सकेंगे। इस कड़ी में प्रस्तुत है  सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ ललित लालित्य जी के प्रश्नों के उत्तर । ) 

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 67

☆ आमने-सामने  – 2 ☆

डॉ ललित लालित्य (दिल्ली)

1-  पांडेय जी आप चुपचाप काम करने वाले व्यंग्यकार हैं जबकि आपके जूनियर कहाँ से कहाँ पहुँच गए ।

2- क्या आप मानते है कि व्यंग्यकार को ईमानदार होना चाहिए,चुगलखोर या ईर्ष्यालु नहीं ?

3- क्या जीते जी व्यंग्यकार मंदिर बनवा कर पूजे जाएं यह कहाँ की भलमान्सियत है ?

जय प्रकाश पाण्डेय –

1- सर जी, लेखन में कोई जूनियर, सीनियर या वरिष्ठ, कनिष्ठ या गरिष्ठ नहीं होता, ऐसा हमारा मानना है। ईमानदारी और दिल से जितना कुछ संभव हो, वही संतुष्टि देता है। यदि कोई कहां से कहां पहुंच भी गया तो खुशी की बात है, उसकी प्रतिभा उसका अध्ययन उसे और ऊपर ले जाएगा।

2- ईमानदार और दीन-दुखी जन जन के साथ खड़ा लेखक ही असली व्यंंग्यकार कहलाने का हकदार है, जैसे आप हर दिन आम आदमी की दैनिक जीवन में आने वाली विसंगतियों और पाखंड पर रोज लिखकर आम आदमी के साथ खड़े दिखते हो। समाज की बेहतरी के लिए व्यंंग्यकार की ईमानदार कोशिश होनी चाहिए, ईमानदार प्रयास ही इतिहास में दर्ज होते हैं, फोटो और बोल्ड लेटर के नाम पानी के बुलबुले हैं। भाई,व्यंंग्यकार ही तो है जो जुगलखोरी और ईर्षालुओं के विरोध में लिखकर उनके चरित्र में बदलाव की कोशिश करता है।

3- ऐसे लोगों को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए जो आत्म प्रचार और आत्ममुग्धता के नशे में जीते जी मंदिर बनवाने की कल्पना करते हैं। ऐसे लेखक के अंदर खोट होती है, वे अंदर से अपने प्रति भी ईमानदार नहीं होते, जो लोग ऐसे लोगों के मंदिर बनवाने में सहयोग देते हैं वे भी साहित्य के पापी कहलाने के हकदार हो सकते हैं।

क्रमशः ……..  3

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments