श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है । आज प्रस्तुत है एक लघुकथा  “आपदा  में  अवसर“। ) 

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 81

☆ लघुकथा – आपदा  में  अवसर ☆

राधा बाई को हाथ पैर में सूजन की शिकायत होने पर पति रामप्रसाद ने अस्पताल में भर्ती करवा दिया। कोविड के मरीजों से अस्पताल हाऊसफुल था। बेड खाली नहीं थे। एक रात जमीन पर लिटाया गया, सुबह कोरोना मरीज की मृत्यु से एक बेड खाली हुआ तो उस बिस्तर में राधा बाई को लिटा दिया गया। राधा बाई को कोरोना नहीं था पर बेड मिलने से अस्पताल के सब लोग उससे भी कोविड मरीज की तरह व्यवहार करने लगे, रात भर राधा कराहती रही और दूसरी रात राधा की मृत्यु हो गई। प्रोटोकॉल के तहत रामप्रसाद को लाश नहीं दी गई। राधा बाई की मौत किन परिस्थितियों में कब और क्यों हुई, किसी को नहीं मालूम।

बेरहम व्यवस्था ने रामप्रसाद को पत्नी की मुखाग्नि देने के अधिकार से वंचित कर दिया। एक महीने भटकने के बाद मुक्ति धाम से मिले डेथ सर्टिफिकेट में मौत की तारीख़ 25 अगस्त लिखी थी, और अस्पताल से मिले डेथ सर्टिफिकेट में मौत की तारीख़ 28 अगस्त लिखी देख रामप्रसाद को राधा पर दया आ गई, बेचारी अभागी राधा दो बार मरी, पर दोनों बार नेगेटिव रिपोर्ट के साथ मरी। प्रोटोकॉल के तहत लाश ठिकाने लगाने वाले ठेकेदार को राधा फायदा करा गई, उसे राधा के नाम पर दो बार पेमेंट हुआ।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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