श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 104 – मनोज के दोहे… ☆
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1 नैवेद्य
ईश्वर को नैवेद्य से, खाना हो आरंभ।
यही समर्पण भाव हो, कभी न आता दम्भ।।
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2 आचमन
सद्कर्मों का आचमन, करें सभी हरहाल।
कष्ट नहीं फिर घेरते, गुजरें अच्छे साल।।
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3 नीराजन
पूजन नीराजन करें, भक्ति भाव से मंत्र।
सुधरेंगें हर काज तब, सफल रहेगा तंत्र।।
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4 शंख
शंख-नाद कर आरती, करें भक्त गण रोज।
जयकारे हैं गूँजते, भरते मन में ओज।।
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5 मंत्र
मंत्र-तंत्र की साधना, कठिन भक्ति का योग।
भवसागर से पार हों, फटकें कभी न रोग।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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