प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा  एक भावप्रवण कविता  “सब को सदा सद्बुद्धि दो“।  हमारे प्रबुद्ध पाठक गण  प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। ) 

? हमारे मार्गदर्शक एवं प्रेरणादायी गुरुवर प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी को हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा साहित्य भूषण सम्मान द्वारा सम्मानित किये जाने के लिए ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें? 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 32 ☆

☆ सब को सदा सद्बुद्धि दो 

हे जगत की नियंता सब को सदा सद्बुद्धि दो

सब सदाचारी बनें पारस्परिक सद्भाव हो

मन में रुचि हो धर्म के प्रति सबके प्रति सद्भावना

जगत के कल्याण हित पनपे हृदय में कामना

हो न वैर विरोध कोई किसी से न दुराव हो

प्राणियों और निसर्ग के प्रति सदा पावन भाव हो

जिंदगी निर्मल रहे हो आप की आराधना

बन सके जितना हो संभव सभी के हित साधना

जगत में हर एक से निश्चल सुखद व्यवहार हो

मन में सबके लिए हो करुणा और पावन प्यार हो

उचित अनुचित क्या है करना इसका तो अनुमान हो

हर एक को दो शुभ बुद्धि इतनी सबको इतना ज्ञान दो

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर

[email protected]

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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